फ्रैंक पेरी की जेल ब्रेक की कहानी : एक बाप की आखिरी उम्मीद की कहानी।

एंटेरटैनमेंट


क्या आपने कभी यह विचार किया है कि उम्र कैद की सजा काटने वाले एक बंदी में अचानक जेल तोड़ने की कोशिश करने का उत्साह क्यों होगा? एक बाप यदि ये इकलौता बेटी जेल में दिक्कत में हो, तो उसे सब कुछ करने की ताबड़तोड़ इच्छा हो जाती है। जब उस बाप को बुढ़ापे में अकेली एक बेटी है, जो जिंदगी और मृत्यु के बीच झूल रही है। आम तौर पर ये जेल तोड़ी जाती नहीं है पर बाप के लिए सब कुछ सुगम लग रहा था। यह चिरकालिक कैद है। ठीक यही कहानी है फ्रैंक पेरी की, जो एक साधारण बंदी से शुरु हो गया था।

कहानी की शुरुआत – जेल की दीवारों के पीछे एक बाप की तड़प

फ्रैंक पेरी जेल में एक शांत और नियमों के मुताबिक ज़िंदगी बिता रहा था। लॉन्ड्री रूम में कपड़े धोना उसका रोज़ का काम था, और अब तक उसने इस कैद की दुनिया को ही अपनी हकीकत मान लिया था। लेकिन एक दिन उसकी ज़िंदगी उस चिट्ठी ने बदल दी जो उसकी पत्नी की ओर से आई थी – खबर थी कि उनकी बेटी ड्रग ओवरडोज़ के चलते अस्पताल में भर्ती है और कभी भी दुनिया छोड़ सकती है।

यह सुनते ही फ्रैंक टूट गया। उसका दिल अब सिर्फ एक ही बात पर अटका था – किसी भी तरह अपनी बेटी से आखिरी बार मिलना।

एक खतरनाक प्लान की शुरुआत

एक साधारण कैदी से फरार होने की योजना बनाना कोई मज़ाक नहीं होता, लेकिन फ्रैंक ने अपनी बेटी से मिलने की चाह में एक खतरनाक प्लान तैयार किया। उसके साथ जुड़े –

ब्रोड, जो पहले भी एक सुरंग खोद चुका था,

लेनी, एक गुस्सैल बॉक्सर जो औजार चलाने में माहिर था,

और बाद में बटिस्टा, जो जेल में ड्रग्स सप्लाई करने वाला था, लेकिन असल में सरकार का आदमी था। इन सभी का मकसद था – जेल के लॉन्ड्री रूम से होकर सीवर लाइन के रास्ते बाहर निकलना। लेकिन इसमें तीन मजबूत दरवाजे और एक लोहे की प्लेट आगे आ रही थी। प्लान था चर्च के कन्फेशन बॉक्स से दीवार तोड़कर लॉन्ड्री रूम तक पहुंचना और फिर वहां से एयर वेंट्स के जरिए बाहर निकल जाना।

जब हालात ने मोड़ लिया – टोनी की मौत

कहानी तब और उलझ गई जब टोनी, जो जेल के सबसे खतरनाक कैदी रिजा का भाई था, इस प्लान की भनक लगाने लगा। उसे शांत करने के लिए बटिस्टा ने एक जहरीली ड्रग तैयार की जो उसने उसे दे दी, लेकिन हालात ऐसे बने कि टोनी खुद नहीं मरा – बल्कि उसकी मौत लेसी द्वारा की गई एक आत्मरक्षा की प्रतिक्रिया में हुई। इसके बाद रिजा फ्रैंक के पीछे पड़ गया।

भागने की रात – जब हर सेकेंड था कीमती

आखिरकार वह रात आ ही गई जब सभी कैदी अपने प्लान के अनुसार सुरंग से बाहर निकलने लगे। लेकिन फ्रैंक नहीं आया – वह रिजा को उलझाने के लिए उसके पास गया ताकि उसके दोस्त भाग सकें। वहीं लेसी, फ्रैंक का इंतजार करता रहा। आखिरकार जब फ्रैंक वहां पहुंचा तो घायल था, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

ड्रैनेज सिस्टम तक पहुंचना भी आसान नहीं था – वहां एक नई दीवार खड़ी कर दी गई थी। लेकिन लेनी के एक मुक्के से दीवार टूट गई और उम्मीद की एक किरण फिर से जग गई।

लेकिन हर कहानी में नहीं होती हैप्पी  एंडिंग
अंदर ही अंदर यह कहानी टूटने लगी थी –

ब्रोड, सुरंग में दब गया,

बटिस्टा, ट्रेन की पटरियों में फंसकर मारा गया,

लेनी, अपने साथी को बचाने के चक्कर में खुद ट्रेन के आगे आ गया।

और आखिर में सिर्फ बचे – फ्रैंक और लेसी।

सच्चाई कुछ और ही थी…

जब कहानी खत्म हुई, तब पता चलता है कि असल में फ्रैंक जेल से भागा ही नहीं था। वह सिर्फ अपने दोस्तों के लिए समय खरीद रहा था। उसने जानबूझकर खुद को रिज के गुस्से के हवाले कर दिया ताकि बाकी लोग आज़ादी की सांस ले सकें। उसकी कल्पना में वो लंदन की सड़कों पर अपनी बेटी से मिल रहा था, जो शायद अब इस दुनिया में थी भी या नहीं – इसका कोई भरोसा नहीं।

निष्कर्ष:

एक भावुक सफर, जो सिर्फ भागने की नहीं, रिश्तों की कहानी है
फ्रैंक पेरी की कहानी सिर्फ जेल ब्रेक की नहीं है, ये एक बाप की मोहब्बत की, दोस्ती की, त्याग की और हिम्मत की कहानी है। उसने खुद की आज़ादी कुर्बान कर दी, लेकिन अपने दोस्तों को आज़ादी दिलाई।

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